Monday, August 26, 2019

ईरान को अचानक जी-7 की बैठक में क्यों बुलाया गया

ईरान के विदेश मंत्री अप्रत्याशित रूप से रविवार को फ़्रांस के बियारिज़ में जी-7 सम्मेलन में शरीक होने पहुंचे.

ऐसा फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहल पर हुआ. मैक्रों ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को ज़िंदा रखने की कोशिश के लिए ऐसा किया है.

पिछले साल अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु क़रार तोड़ने की एकतरफ़ा घोषणा कर दी थी.

जी-7 में ईरान और रूस को बुलाने को लेकर ट्रंप पूरी तरह से तैयार नहीं थे. लेकिन इसके बावजूद ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़ारिफ़ फ़्रांस पहुंचे.

फ़ाइनैंशियल टाइम्स से फ़्रांस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है, ''हमलोग पूरी पारदर्शिता के साथ अमरीका के साथ काम कर रहे हैं. इसमें हमारे यूरोप के बाक़ी साझेदार भी शामिल हैं. अभी अमरीका और ईरान के बीच कोई मीटिंग की योजना नहीं है.''

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस प्रगति पर कहा है कि जवाद ज़ारिफ़ का फ़्रांस आना एक राजनयिक क़दम है, जिसके तहत ईरान और यूरोप के देश परमाणु समझौते को ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसे लेकर ईरान और फ़्रांस के बीच बात चल रही है.

इस मसले पर जवाद ज़ारिफ़ ने ट्वीट भी किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ''ईरान सक्रिय डिप्लोमैसी के ज़रिए रचनात्मक सहयोग पर काम कर रहा है. आगे की राह मुश्किल है लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं.''

ईरान संकट पर फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चाह रहे हैं कि परमाणु क़रार टूटे नहीं. मैक्रों को जर्मनी और ब्रिटेन का भी समर्थन मिला हुआ है.

ये देश चाहते हैं कि ईरान और अमरीका के बीच रिश्ते सुधरे जिससे इलाक़े में तनाव कम हो. फ़्रांस चाहता है कि ईरानी पर लगी अमरीकी पाबंदी में ढील दी जाए जिससे वो तेल का आयात कर सके.

हालांकि कई विशेषज्ञों को लग रहा है कि जवाद ज़ारिफ़ का फ़्रांस आना बैकफ़ायर भी कर सकता है. कहा जा रहा है कि ट्रंप इसे फ़्रांस के स्टंट के रूप में ले सकते हैं.

फ़्रांस के कुछ अधिकारियों का ये भी कहना है कि ईरानी विदेश मंत्री की ब्रिटेन और जर्मनी के साथ बैठक होनी है और ट्रंप को पहले बता दिया गया था कि जवाद ज़ारिफ़ फ़्रांस आएंगे. ईरान और रूस के बीच भी बैठक हुई है.

कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि अमरीकी प्रतिनिधिमंडल जी-7 में ईरानी विदेश मंत्री के दौरे से हैरान है. कहा जा रहा है कि फ़्रांस ने ऐसा तब किया जब ईरान और अमरीका में तनाव चरम पर है. हालांकि ये बात भी कही जा रही है कि मैक्रों और ट्रंप इस बात पर सहमत हैं कि तेहरान के साथ तनाव कम होना चाहिए.

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