Monday, January 28, 2019

कुशीनगर में एयरफोर्स का जगुआर क्रैश, पायलट ने पैराशूट की मदद से जान बचाई

उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में सोमवार को एयरफोर्स का जगुआर विमान क्रैश हो गया। यहां के हेतिमपुर गांव में एक खेत में विमान गिर गया। इसके बाद इसमें आग लग गई। हालांकि, विमान के पायलट ने पैराशूट की मदद से अपनी जान बचा ली। बताया जा रहा है कि विमान ने गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी।

उड़ान भरने के 10 मिनट बाद ही टूटा संपर्क
गोरखपुर स्टेशन से उड़ान भरने के 10 मिनट बाद ही जगुआर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। विमान नियमित उड़ान पर था। मौके पर एयरफोर्स के दो हेलिकॉप्टर भी पहुंच गए। एयरफोर्स ने जांच के आदेश दे दिए।

एक साल में तीसरी बार क्रैश हुआ जगुआर

एक साल में यह तीसरा हादसा है, देश में जगुआर विमान क्रैश हुआ। इससे पहले जून 2018 में गुजरात के कच्छ और अहमदाबाद में भी विमान हादसे हुए थे। कच्छ में हुए हादसे में पायलट की मौत हो गई थी। दो इंजन वाले जगुआर को 1979 में भारतीय एयरफोर्स में शामिल किया गया।

सर्जिकल स्ट्राइल के थीम पर बनी फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक लगातार सुर्खियां बटोरी रही है. देशभक्ति से लबरेज ये फिल्म युवाओं को लगातार पसंद आ रही है. यही नहीं, राजनीतिक गलियारों में भी ये फिल्म नेताओं की पसंदीदा बन रही है. पीएम मोदी कलाकारों से मुलाकात के दौरान इस फिल्म का डॉयलॉग बोल चुके हैं. अब केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी के लोगों के लिए इस फिल्म को दिखाने की व्यवस्था की है. अमेठी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है. केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में लगातार सक्रिय हैं.

गणतंत्र दिवस की शाम को अमेठी में स्मृति ईरानी ने तकनीक के माध्यम से लोगों के लिए उरी द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म दिखाने का इंतजाम कराया. शहर में कई जगहों पर मोबाइल डिजिटल थिएटर के माध्यम से इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराई गई.इसकी जानकारी देते हुए अमेठी बीजेपी ने ट्वीट किया, "देश के वीर बहादुर जवानों के पराक्रम व शौर्य को दर्शाने वाली फिल्म आज  गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर अमेठी लोकसभा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री स्मृति जी की प्रेरणा से मोबाइल डिजिटल मूवी थिएटर के माध्यम से दिखाई जा रही है,  गौरवशाली क्षण."

केन्द्रीय मंत्री ने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा, " बड़ी गर्व के साथ आज पूरे अमेठी में यूरी सर्जिकल स्ट्राइक दिखाई जा रही है, इसके लिए गणतंत्र दिवस से बेहतर मौका क्या हो सकता था. जय हिन्द की सेना."
फिल्म शुरू होने से पहले स्मृति ईरानी ने अमेठी की जनता के साथ वीडियो संवाद भी किया. स्मृति ईरानी ने कहा कि राष्ट्रीय पर्व के मौके पर पूरे परिवार के साथ बैठकर इस फिल्म को देखने से अच्छा क्या हो सकता था, इसी अभिलाषा के साथ वह लोगों के दरवाजे तक ये फिल्म लेकर आई हैं.

स्मृति ईरानी ने कहा कि नौजवान ये फिल्म देखकर भारतीय सेना के शौर्य से वाकिफ होंगे. उन्होंने कहा कि इस फिल्म को देखकर लोगों को पता चलेगा कि मां भारती के सपूत कैसे अपने घर-बार त्यागकर अपने प्राणों की आहूति देते हैं. स्मृति ने कहा कि भारत की जल, थल और वायु सेना को अमेठी की जनता अपना सलाम कहती है. स्मृति ईरानी ने कहा कि इस फिल्म के एक्टर विकी कौशल ने भी अमेठी के लोगों के लिए संदेश दिए हैं. बता दें कि स्मृति ईरानी पहले भी इस फिल्म की तारीफ कर चुकी हैं. 12 जनवरी को उन्होंने ट्वीट कर इस फिल्म की तारीफ की थी. पाकिस्तान में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी ये फिल्म 11 जनवरी को रिलीज हुई थी.

Thursday, January 17, 2019

सआदत हसन मंटो से पाकिस्तान क्यों डरता है?

दक्षिण एशिया में सआदत हसन मंटो और फैज़ अहमद फैज़ सब से ज़्यादा पढ़े जाने वाले लेखक है.

पिछले सत्तर साल में मंटो की किताबों की मांग लगातार रही है. एक तरह से वह घर-घर में जाना जाने वाला नाम बन गया है.

उनके सम्पूर्ण लेखन की किताबों की जिल्दें लगातार छपती रहती हैं, बार-बार छपती हैं और बिक जाती हैं.

यह भी सचाई है कि मंटो और पाबंदियों का चोली-दमन का साथ रहा है. हर बार उन पर फाहशी (लचर) होने का इल्ज़ाम लगता रहा है और पाबंदियां लगाई जाती हैं.

'ठंडा ग़ोश्त', 'काली सलवार' और 'बू' नाम की कहानियों पर पाबंदिया लगाई गई. उनकी कहानियों को पाबंदियों ने और भी मक़बूल किया. मंटो को बतौर कहानीकार पाबंदियों का फ़ायदा हुआ. मंटो की कहानिओं पर पांच बार पाबंदी लगी पर उन्हें कभी दोषी क़रार नहीं दिया गया.

अब एक तरफ नंदिता दास की नई फिल्म 'मंटो पर पाकिस्तान में पाबंदी लगाई गई है और दूसरी तरफ लाहौर के सांस्कृतिक केंद्र अलहमरा ने 'मंटो मेला' पर पाबंदी लगा दी है.

13 जनवरी को लाहौर आर्ट्स कॉउन्सिल-अलहमरा ने अपने फेसबुक पन्ने पर नेशन अख़बार की ख़बर साझा की है जिसके मुताबिक 'मंटो मेला' फरवरी के बीच वाले हफ्ते में होने वाला था.

यह भी चर्चा है कि इस पाबंदी का कारण मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर में मजहबी इंतहापसंदों का प्रभाव है. उनका मानना है कि लेखक की कृतियां लचरता फ़ैलाने का कारण है.

लोगों के दवाब के कारण अलहमरा ने इस मेले को पाबन्दी लगाने की बजाए सिर्फ़ आगे बढ़ाने की दलील दी है लेकिन अभी तक किसी तारीख का ऐलान नहीं हुआ.

इस मंटो मेले पर चार नाटक मंडलियों द्वारा नाटक किए जाने थे जिनमें पाकिस्तान का विश्व ख्याति प्राप्त 'अजोका थिएटर' है. यह सारी नाटक मंडलियां कई दिनों से मंच अभ्यास कर रही थीं.

नंदिता दास की फ़िल्म पर पाबंदी लगाने के बारे में यही दलील सामने आई है कि बोर्ड को कोई एतराज़ नहीं था पर फ़िल्म में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे का 'सही चित्रण' नहीं है. अब फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है और इसे कोई भी देख सकता है.

इस फ़िल्म पर पाबंदी के ख़िलाफ़ लाहौर, पेशावर और मुलतान में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

लाहौर में विरोध प्रदर्शन मंटो मेमोरियल सोसाइटी के प्रधान सईद अहमद और दूसरे बुद्धिजीवियों ने साथ मिलकर किया. उन्होंने बीते सप्ताह में एकअदबी समागम मंटो फ़िल्म के लिए ही किया था.

इस समागम में शिरकत करते हुए इतिहासकार आयशा जलाल ने अहम मुद्दे रखे. आयशा जलाल मशहूर इतिहासकार हैं और उनकी कई किताबें बहुत अहम मानी जाती हैं.

आयशा मंटो की रिश्तेदार भी हैं और उन्होंने मंटो और भारत -पाक बंटवारे के बारे में किताब भी लिखी है. उनसे पूछा गया कि सत्तर साल में क्या बदला है क्योंकि तब भी मंटो पर विवाद था और अब भी है.

फ़िल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने पाकिस्तान में बनाई गई सरमद खूसट की फ़िल्म की भी बात की और कहा कि नंदिता दास की फ़िल्म इतिहास के हिसाब से बेहतर है. उन्होंने कहा कि बेशक फ़िल्म पर पाबंदी लगाई गई है पर यह नेट पर उपलब्ध है तो पाबंदी की कोई तुक नहीं बनती.

आयशा जलाल ने कहा कि बंटवारे की सामाजिक आलोचना इससे अलग मामला है. अगर किसी को आलोचना बर्दाश्त नहीं है तो इसमें मंटो का कोई कसूर नहीं है.

बल्कि यह उनका मामला है या उनकी साहित्य के बारे में समझ का मामला है.

आयशा का कहना है कि अभी का प्रसंग बिलकुल अलग है पर मंटो पर कई बार इल्ज़ाम लगे हैं पर उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा कुछ जुर्माना ही हुआ है.

उस समागम में यह भी बात हुई कि मंटो को नाखुश दिखाया गया है और उसका पाकिस्तान में आने का अनुभव भी अच्छा नहीं था.

Wednesday, January 9, 2019

जेफ़ बेज़ोस: दुनिया के सबसे अमीर आदमी का तलाक़

इस बयान में लिखा गया है, ''लंबे दौर तक एक-दूसरे के साथ प्रेम से रहने और फिर कुछ वक़्त के लिए दूरियों का अनुभव करने के बाद हमने एक दूसरे को तलाक़ देने का फ़ैसला किया है. हम दोनों अच्छे दोस्त बनकर रहेंगे.''

हाल ही में अमेज़न कंपनी ने एक बेहतरीन उपलब्धि अपने नाम की थी. अमेज़न माइक्रोसॉफ़्ट को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे ज़्यादा कीमत वाली कंपनी बन गई थी.

54 साल के जेफ़ ने 25 साल पहले अमेज़न कंपनी की शुरुआत की थी. ब्लूमबर्ग में अमीर लोगों की सूची में जेफ़ सबसे ऊपर आते हैं. उनके पास कुल 137 बिलियन डॉलर की संपत्ति बताई जाती है.

दूसरी तरफ़ 48 वर्षीय मैकेन्ज़ी एक साहित्यकार हैं. उन्होंने दो किताबें लिखी हैं. जिसमें साल 2005 में आई द टेस्टिंग ऑफ़ लूथर और साल 2013 में आई ट्रैप्स शामिल हैं.

अपने साझा बयान में इस जोड़े ने लिखा है, ''हम दोनों अपने आप को बहुत ख़ुशकिस्मत मानते हैं कि हमें एक-दूसरे का साथ मिला. हमने शादी के बाद इतने साल साथ में गुज़ारे इसके लिए हम एक-दूसरे के दिल से आभारी हैं.''

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''हमने साथ में एक बेहतरीन ज़िंदगी गुज़ारी. हमने शादीशुदा जोड़े के तौर पर अपने भविष्य के सपने संजोए, हमने अच्छे माता-पिता, दोस्त और साथी के तौर पर अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाईं. कई प्रोजेक्ट पर साथ में काम किया जिसमें हमें बहुत मज़ा भी आया.''

''अब भले ही हमारे रिश्ते का नाम बदल जाएगा लेकिन फिर भी हम एक परिवार रहेंगे, हम एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बनकर रहेंगे.''

पिछले साल इस जोड़े ने एक चैरिटी कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस कार्यक्रम का नाम द डे वन था. इस कार्यक्रम का मक़सद बेघर परिवारों की मदद करना और ग़रीब बच्चों के लिए स्कूलों का निर्माण करना था.

जेफ़ और मैकेन्ज़ी के चार बच्चे हैं. तीन लड़के और एक गोद ली हुई लड़की. साल 2013 में मैकेन्जी ने वोग पत्रिका को बताया था कि जेफ़ से उनकी मुलाक़ात नौकरी के एक इंटरव्यू के दौरान हुई थी. जेफ़ उस समय इंटरव्यू ले रहे थे.

तीन महीने तक एक-दूसरे के साथ वक़्त बिताने के बाद उन्होंने साल 1993 में शादी कर ली थी.

इसके एक साल बाद जेफ़ ने अमेज़न कंपनी की शुरुआत की. उस समय अमेज़न पर सिर्फ़ किताबों की ऑनलाइन बिक्री होती थी.

धीरे-धीरे इस कंपनी का विस्तार होता चला गया और यह दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन गई.

इस हफ्ते जब सोमवार को अमरीका का स्टॉक मार्केट बंद हुआ था तो अमेज़न की कुल कीमत 797 बिलियन डॉलर थी, जबकि उसी समय माइक्रोसॉफ़्ट की कीमत 789 बिलियन डॉलर थी.

Wednesday, January 2, 2019

शी जिनपिंग ने कहा- ताइवान को चीन से मिलना ही होगा

चीन के राष्ट्रपति शीन जिनपिंग ने ताइवान के लोगों से कहा है कि वे इस बात को स्वीकार कर लें कि ताइवान को चीन के साथ 'मिलना होगा' और यह 'मिलकर ही रहेगा.'

ताइवान के साथ रिश्ते सुधारने की पहल के 40 साल पूरे होने पर दिए गए भाषण में जिनपिंग ने दोहराया कि चीन 'एक देश दो प्रणालियों' वाली व्यवस्था के तहत शांतिपूर्ण एकीकरण चाहता है.

उन्होंने चेताया भी कि चीन के पास 'शक्ति इस्तेमाल करने का अधिकार' है. हालांकि, ताइवान स्वयं शासित और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है लेकिन उसने कभी यह आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया है कि वह चीन से स्वतंत्र है.

ताइवान को चीन अपने से अलग हुआ हिस्सा मानता है. ऐसे में जिनपिंग का बयान चीन की ताइवान को ख़ुद से मिलाने की पुरानी नीति के अनुरूप ही है.

जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्ष एक ही चीनी परिवार के हिस्से हैं और ताइवानी लोगों को 'यह समझना चाहिए कि स्वतंत्रता केवल मुश्किलें लेकर आएगी.' उन्होंने चेताते हुए कहा कि ताइवानी स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की किसी भी गतिविधि को चीन बर्दाश्त नहीं करेगा.

इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ताइवान के साथ उसके संबंध 'चीन की घरेलू राजनीति का हिस्सा हैं' और इसमें 'विदेशी दख़ल बर्दाश्त नहीं है.'

ताइवान का क्या मानना है?

बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा कि उनका देश चीन की शर्तों के आधार पर कभी एकीकरण के लिए तैयार नहीं होगा.

जिनपिंग के भाषण से एक दिन पहले ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा था कि चीन को ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए और मतभेदों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण साधनों का उपयोग करना चाहिए.

साई ने कहा, "मैं चीन से कहना चाहती हूं कि वह ताइवान में चीनी गणराज्य के अस्तित्व की वास्तविकता का सामना करें."

उन्होंने कहा कि चीन को 2.3 करोड़ लोगों की स्वतंत्रता और लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए और शांतिपूर्ण तरीक़े से मतभेदों को सुलझाना चाहिए.

नवंबर में साई की राजनीतिक पार्टी को क्षेत्रीय चुनावों में भारी झटका लगा था. चीन मानता है कि यह उसके अलगाववादी रुख़ के कारण हुआ था.

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क्या है विवाद की वजह
'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते. दोनों ख़ुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं.

जिसे हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम है 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना.' दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है.

व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है. मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है. एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े