Wednesday, January 2, 2019

शी जिनपिंग ने कहा- ताइवान को चीन से मिलना ही होगा

चीन के राष्ट्रपति शीन जिनपिंग ने ताइवान के लोगों से कहा है कि वे इस बात को स्वीकार कर लें कि ताइवान को चीन के साथ 'मिलना होगा' और यह 'मिलकर ही रहेगा.'

ताइवान के साथ रिश्ते सुधारने की पहल के 40 साल पूरे होने पर दिए गए भाषण में जिनपिंग ने दोहराया कि चीन 'एक देश दो प्रणालियों' वाली व्यवस्था के तहत शांतिपूर्ण एकीकरण चाहता है.

उन्होंने चेताया भी कि चीन के पास 'शक्ति इस्तेमाल करने का अधिकार' है. हालांकि, ताइवान स्वयं शासित और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है लेकिन उसने कभी यह आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया है कि वह चीन से स्वतंत्र है.

ताइवान को चीन अपने से अलग हुआ हिस्सा मानता है. ऐसे में जिनपिंग का बयान चीन की ताइवान को ख़ुद से मिलाने की पुरानी नीति के अनुरूप ही है.

जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्ष एक ही चीनी परिवार के हिस्से हैं और ताइवानी लोगों को 'यह समझना चाहिए कि स्वतंत्रता केवल मुश्किलें लेकर आएगी.' उन्होंने चेताते हुए कहा कि ताइवानी स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की किसी भी गतिविधि को चीन बर्दाश्त नहीं करेगा.

इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ताइवान के साथ उसके संबंध 'चीन की घरेलू राजनीति का हिस्सा हैं' और इसमें 'विदेशी दख़ल बर्दाश्त नहीं है.'

ताइवान का क्या मानना है?

बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा कि उनका देश चीन की शर्तों के आधार पर कभी एकीकरण के लिए तैयार नहीं होगा.

जिनपिंग के भाषण से एक दिन पहले ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा था कि चीन को ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए और मतभेदों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण साधनों का उपयोग करना चाहिए.

साई ने कहा, "मैं चीन से कहना चाहती हूं कि वह ताइवान में चीनी गणराज्य के अस्तित्व की वास्तविकता का सामना करें."

उन्होंने कहा कि चीन को 2.3 करोड़ लोगों की स्वतंत्रता और लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए और शांतिपूर्ण तरीक़े से मतभेदों को सुलझाना चाहिए.

नवंबर में साई की राजनीतिक पार्टी को क्षेत्रीय चुनावों में भारी झटका लगा था. चीन मानता है कि यह उसके अलगाववादी रुख़ के कारण हुआ था.

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'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते. दोनों ख़ुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं.

जिसे हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम है 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना' और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है 'रिपब्लिक ऑफ़ चाइना.' दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है.

व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है. मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है. एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े

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